रायपुर/सुकमा. केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा सहित पांच नक्सल प्रभावित राज्यों के लिए अलर्ट जारी किया है। सूत्रों के मुताबिक केंद्र की ओर से कहा गया है कि नक्सली सुकमा की तरह और भी हमले के प्रयास में हैं। इस संबंध में पिछले दिनों झारखंड-छत्तीसगढ़ की सीमा पर नक्सलियों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई है। इस बैठक में करीब 500 नक्सलियों के शामिल होने की बात कही जा रही है। दूसरी तरफ, छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पिडमेल में नक्सली हमले में शहीद हुए सात जवानों के शव हमले के 24 घंटे से ज्यादा बीत जाने के बाद भी अभी तक जंगलों में ही पड़े हैं। शनिवार सुबह 9 से 10 बजे के बीच पोलमपल्ली-चिंतागुफा कैंप से एसटीएफ के 50 जवानों की एक टुकड़ी नक्सली हमले का शिकार हो गई थी।
बताया जा रहा है कि खराब मौसम के चलते जंगल तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है। जगदलपुर एसपी अजय यादव ने बताया है कि मौसम खराब होने की वजह से हेलिकॉप्टर की मदद नहीं ली जा सकी है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि जवानों के शवों को लाने के लिए पुलिस की एक टीम रविवार को सुबह रवाना हुई है। बताया जा रहा है कि इस टीम में 300-400 जवान शामिल हैं। अभी तक घटनास्थल तक पुलिस के जवान पहुंच नहीं सके हैं। सुकमा के कलेक्टर ने गैरजिम्मेदाराना बयान दिया है कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है कि शवों को कब तक जंगलों से उठा कर लाया जाएगा। हालांकि इस घटना में घायल 10 जवानों को शनिवार को ही रायपुर अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।
खतरा ज्यादा, रेस्क्यू के लिए रणनीति बना कर चल रही है पुलिस
नक्सली हमले में शहीद जवानों के शव जंगलों से लाने में पुलिस बेहद सतर्कता बरत रही है। जानकारी के मुताबिक खतरा ज्यादा है इसलिए पुलिस टीम रेस्क्यू के लिए विशेष रणनीति के हिसाब से चल रही है। सूत्रों का कहना है कि कई बार ऐसा हुआ है कि किसी बड़ी वारदात के बाद घटनास्थल पर पहुंचने वाली रेस्क्यू टीम पर भी नक्सलियों ने हमला किया है, जो वहां घात लगा कर बैठे रहते हैं। ऐसे में एक बजे रात तक अभियान चलाने के बाद पुलिस ने हमले की आशंका को देखते हुए सर्च ऑपरेशन रोक दिया था। अधिकारियों का कहना है कि नक्सल हमले में शहीद हुए जवानों के शव घटनास्थल से सीधे नहीं उठाए जाते, उन्हें रस्सी से बांध कर खींचा जाता है ताकि यदि नक्सलियों ने उसमें आईईडी लगाया हो तो रेस्क्यू के लिए गए जवान उसकी चपेट में न आएं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि घटना स्थल पिडमेल के घने जंगलों में 20 किलोमीटर अंदर स्थित है। शनिवार को नक्सलियों ने करीब दो किलोमीटर लंबा एम्बुश लगाकर हमला किया था। घना जंगल होने के चलते घटनास्थल के आसपास नक्सलियों के मौजूद होने का अंदेशा बना हुआ है। ऐसे में पुलिस पार्टी संभल कर आगे बढ रही है। अफसरों ने बताया कि बारिश की वजह से समय लग रहा है।
शहीदों के जूते, हथियार नक्सलियों ने लूटे
ग्राउंड जीरो से आई शहीदों की पहली तस्वीर में साफ दिख रहा है कि जवानों की हत्या के बाद नक्सलियों ने उनके हथियार, जूते, बेल्ट तक लूट लिए। इससे पहले भी सुकमा में हर बड़ी वारदात में नक्सली ऐसा ही करते आए हैं। वे जवानों की टुकड़ी पर हमला करने के बाद हथियार सहित अन्य समान लूट लेते हैं। पिछली कई वारदातों में वे यूबीजीएल, एसएलआर जैसे हाइटेक हथियार भी लूट चुके हैं।
झांसे से जवानों को बुलवाया और किया हमला
खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के मुताबिक एसटीएफ के जवानों को झांसे से बुलाकर हमले का शिकार बनाया गया। बता दें कि ऐसी खबरें आई थीं कि जवान एक गुप्त सूचना के आधार पर टुकड़ी के साथ जंगल में गए थे। सूचना मिली थी कि नक्सली भास्कर अपने 25 साथियों के साथ यहां छिपा है। इसके बाद एसटीएफ के जवान प्लाटून कमांडर शंकर राव की अगुवाई में गश्त पर निकले थे। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि किसी मुखबिर के जरिए ये सूचना पार्टी तक पहुंचाई गई।
बता दें कि जब करीब 10.30 बजे जवान पिडमेल व जैतावरम के बीच से गुजर रहे थे तो उसी दौरान वहां करीब 400 से ज्यादा नक्सली पहले से ही मौजूद थे। इन नक्सलियों ने अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दी। जवान तीन तरफ से घिर गए। प्लाटून कमांडर शंकर राव समेत सात जवानों की जान मौके पर ही चली गई थी।
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