इंटरनेशनल डेस्क। देश में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार की जासूसी का मुद्दा गरमाया हुआ है। नेताजी की जासूसी का यह मामला नया नहीं है। आजादी के समय में ब्रिटिश हुकूमत उन पर नजर रखती थी। वे अपने दौर के बड़े नेताओं में शुमार थे। देश को ब्रिटेन से आजाद कराने के लिए वह हर तरह से कोशिशें कर रहे थे। इसी सिलसिले में उनकी मुलाकात जर्मन
तानाशाह एडोल्फ हिटलर से भी हुई थी, लेकिन नेताजी से मुलाकात के वक्त हिटलर को बड़ी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी। यह शर्मिदगी हिटलर की चर्चित आत्मकथा मीन कॅम्फ के कारण थी। इस किताब में भारत और भारतीय के बारे में कई आपत्तिजनक बातें लिखी थीं। जब नेताजी ने हिटलर से इन बातों को उल्लेख करते हुए नाराजगी जताई तो उन्होंने इसके लिए माफी मांग ली थी। उन्होंने नेताजी से विवादित अंश हटाने का वादा किया था।
1944 में अमेरिकी पत्रकार लुई फिशर से बात करते हुए गांधी जी ने सुभाष चंद्र बोस को देशभक्तों का देशभक्त कहा था। सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक (ओडिसा) में एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए आजाद हिंद फौज का निर्माण किया।
यह सेना जापान के सहयोग से बनाई गई थी। जापान भी उस समय द्वितीय विश्वयुद्ध में कूद चुका था। नेताजी को 11 बार
जेल की सजा भुगतनी पड़ी थी। 1941 में घर में नजरबंद किए जाने के बाद वो भेष बदलकर पेशावर (पाकिस्तान), अफगानिस्तान, रूस से होते हुए जर्मनी पहुंचे थे। यह द्वितीय विश्व युद्ध का दौर था और नाजी तानाशाह हिटलर से दुनिया कांपती थी।
जापान की राजधानी टोक्यो में भाषण देते नेताजी। |
मुसोलिनी के फासीवाद और हिटलर के नाजीवाद का निशाना इंग्लैंड था। भारत पर अंग्रेजों को कब्जा था और इंग्लैंड के खिलाफ लड़ाई में नेताजी को हिटलर और मुसोलिनी (इटली) में भविष्य के दोस्त दिखाई दे रहे थे। सुभाष चंद्र बोस की मुलाकात एडोल्फ हिटलर से हुई, लेकिन हिटलर को भारत के मामले में कुछ ज्यादा रुचि नहीं थी।
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