बुधवार की सुबह दिल्ली की तेज
गर्मी में एक खबर ने लगभग आग लगा दी. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दावा किया है
कि दिल्ली के गोकलपुरी, गाज़ियाबाद के लोनी और
सहारनपुर के देवबंद इलाक़ों से तीन लड़को को गिरफ्तार किया है जिनके संबंध
पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद से हैं.
सेल ने कुल 13 लड़कों को अलग-अलग इलाकों से हिरासत में लिया
था. इनमें छह लड़के गोकलपुरी के चांद बाग़ इलाके के रहने वाले हैं.
स्पेशल सेल का दावा है कि
इन लड़कों का जैश से संबंध का पता एजेंसी को 18 अप्रैल को चला था. गिरफ्तारी के बाद स्पेशल सेल ने इनसे पूछताछ की है. इसके
बाद सेल ने कहा है कि चांद बाग़ के मुहम्मद साजिद ने पूछताछ में जैश-ए मुहम्मद से
अपने संबंध कुबूल कर लिए हैं.
स्पेशल सेल साजिद को ही इस मॉड्यूल का मुखिया
बता रही है. मुहम्मद साजिद से मिली जानकारी और उसके मोबाइल से मिले नंबरों के आधार
पर सेल ने बाद में इलाके के पांच और लड़कों को मंगलवार की रात 11 बजे के आसपास चांद बाग़ इलाके से हिरासत में
लिया था.
इस मामले को देख रहे वकील
एमएस खान का कहना है कि पुलिस ने सिर्फ तीन युवकों को गिरफ्तार किया है. संभव है
कि बाकियों को जल्द ही छोड़ दिया जायेगा.
कैच न्यूज़ ने इलाके का
दौरा करके गिरफ्तार युवकों की असलियत जानने की कोशिश की. जिन छह लड़कों को चांद
बाग़ से पुलिस ने उठाया है. वे सभी तब्लीगी जमात से जुड़े हुए हैं. सभी पांचों
वक़्त की नमाज़ के पाबंद, दीन की शिक्षा फैलाना ही
इनका काम था.
जमीयत उलमा-ए-हिंद प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने
कैच न्यूज़ से विशेष बातचीत में कहा है कि वह देवबंद से उठाए गए शाकिर अंसारी और
एक अन्य लड़के अजीम को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं. पुलिस हमेशा से इसी तरह लड़कों
को फ्रेम करती आई है और बाद में कोर्ट ने उन्हें छोड़ दिया. मदनी ने यह घोषणा भी
की कि जमीयत गिरफ्तार सभी लड़कों को कानूनी मदद मुहैया करवाएगी.
स्पेशल सेल ने अभी तक
सिर्फ चांद बाग़ के मुहम्मद साजिद, लोनी के समीर अहमद और देवबंद के शाकिर अंसारी की गिरफ्तारी दिखाई है. दिल्ली
की सेशन कोर्ट ने इन तीनों से पूछताछ के लिए स्पेशल सेल को 10 दिन की रिमांड दे दी है.
कौन हैं चांद बाग़ से हिरासत में लिए गए लड़के
1: मोहम्मद साजिद
उम्र 19 साल
पेशा - दर्ज़ी
आय - 12-15 हज़ार प्रतिमाह
पता- 98, F ब्लॉक, चांद बाग़, गोकलपुरी
मोहम्मद साजिद के घर से
करीब 100 मीटर की दूरी पर एक
मस्जिद है. मंगलवार की रात पुलिस ने उन्हें वहीं से उठाया था. वो इशा की नमाज़
पढ़कर मस्जिद से बाहर निकल रहे थे, तभी वहां सिविल वर्दी में पहले से मौजूद दिल्ली पुलिस के जवानों ने धर दबोचा.
वहां मौजूद लोगों के मुताबिक जिस गाड़ी में उन्हें बिठाकर ले जाया गया, उस पर हरियाणा का नंबर था.
साजिद के सबसे बड़े भाई
मोहम्मद तय्यूब बताते हैं, "मस्जिद से निकल रहे
नमाज़ियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की. जवाब में सेल के जवानों ने कहा कि कोई बीच
में नहीं आएगा, वरना गोली मार देंगे.”
मोहम्मद साजिद मूलत:
बुलंदशहर के दौलतपुर गांव के रहने वाले हैं. इनके पिता निज़ामुद्दीन दिल्ली में
मिस्त्री का काम करते थे जो अब नहीं हैं. मोहम्मद साजिद कुल चार भाई और दो बहन
हैं. चांद बाग़ के एफ ब्लॉक में इनका अपना दो मंज़िल का मकान है.
मोहम्मद तय्यूब के मुताबिक तकरीबन 10:30 बजे स्पेशल सेल की टीम ने उनके घर पर छापेमारी
की. कारख़ाने की चाबी मांगने पर साजिद की मां आमीना ने कहा कि वो साजिद के ही पास
है. फिर सीढ़ियों से सटा एक दरवाज़ा तोड़ दिया गया. साजिद के दूसरे भाई मोहम्मद
अयूब कारख़ाने के पास ही खड़े थे.
तय्यूब का आरोप है कि
उन्हें वहां से हटाने के इरादे से पुलिसवालों ने पूछा कि टॉयलेट किधर है. अयूब
एक-दो पुलिसवालों को ऊपर टॉयलेट में ले गए लेकिन जब वो लौटकर आए तो कारख़ाने में
पुलिसवाले स्टूल पर कुछ रखकर फोटोग्राफी कर रहे थे. स्टूल पर क्या था? इस पर तय्यूब ने कहा कि गेंद की तरह गोल आकार
में कुछ काले रंग में था.
कॉलोनी में लोगों से
बातचीत में इस रिपोर्टर को बताया गया कि पुलिसवाले साजिद के घर में बैग लेकर घुसे
थे लेकिन कोई साफ़-साफ़ बोलने के लिए तैयार नहीं हुआ कि कितने बैग थे या फिर उनका
साइज़ और रंग क्या था?
कारख़ाने के अंदर कुरआन
और हदीस समेत कुछ इस्लामिक लिटरेचर मौजूद था. साजिद की बहन महज़बीं ने बताया कि
जाते-जाते पुलिसवाले सारी किताबें अपने साथ ले गए. स्पेशल सेल की यह कार्रवाई
साजिद के घर में सुबह साढ़े चार बजे तक चली.
स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद सिंह कुशवाहा का
दावा है कि इस मॉड्यूल का सरगना मोहम्मद साजिद है. वो सेल की निगरानी में था. 3 अप्रैल की दोपहर एक मुख़बिर ने स्पेशल सेल को
इनपुट दिया कि बीती रात कारख़ाने में आईईडी जोड़ते वक्त एक विस्फोट हुआ जिसमें
साजिद ज़ख्मी हो गया है. उनकी हथेली जल गई है. इसके बाद सेल हरकत में आई और नौ बजे
से छापेमारी की कार्रवाई शुरू की.
साजिद की बहन स्पेशल सेल
के इस दावे को खारिज करती हैं. उनके मुताबिक साजिद का हाथ बारूद से नहीं गर्म दूध
से जला है. जो कि मेरे हाथों से ही जला था. महज़बीं कहती हैं कि मेरे भीतर एक
अपराधबोध है. मुझे लगता है कि अगर साजिद का हाथ नहीं जला होता तो पुलिस बारूद से हाथ
जलने की जो कहानी अभी गढ़ रही है, वो मुमकिन नहीं हो पाती.
मोहम्मद साजिद धार्मिक
आदमी है. पांच वक्त के पाबंद नमाजी. वह तब्लीगी जमात से सक्रिय रूप से जुड़े हैं.
इसका वैश्विक केंद्र साउथ दिल्ली के निज़ामुद्दीन में है. चांद बाग़ में रहने वाले
मुहम्मद फाज़िल कहते हैं कि साजिद अकेले ऐसे शख़्स नहीं हैं. पूरे इलाक़े की
बड़ीआबादी तब्लीगी जमात से जुड़ी हुई है.
स्पेशल सेल ने चांद बाग़ से जिन छह लोगों को
उठाया है उनमें एक समानता है कि सभी तब्लीगी जमात से जुड़े हैं. इशा की नमाज़ के
बाद 10-15 लड़कों का समूह कॉलोनी
में घूम-घूमकर नमाज़ पढ़ने की दावत देता था.
चांद बाग़ के मोहम्मद
अकरम कहते हैं कि अगर पुलिस दहशतगर्दी के इल्ज़ाम में किसी को उठा ले तो हम क्या
कर सकते हैं? हम सरकार से नहीं लड़
सकते लेकिन चांद बाग़ कॉलोनी में एक भी बंदा ऐसा नहीं मिलेगा जो उठाए गए लड़कों को
बुरा कहे. हम लोगों ने सभी लड़के बचपन से यहीं खेलते और बड़ा होते देखा है, पूरी कॉलोनी उनके साथ है.
2: मोहसिन ख़ान
उम्र 32 साल
पेशा- कपड़े की फेरी
आमदनी- 200-250 रुपए प्रतिदिन
पता- एफ ब्लॉक, गली नंबर 3, चांद बाग
मोहम्मद साजिद और मोहसिन
ख़ान के घर आस-पास ही हैं. मोहसिन ने चौथी क्लास तक पढ़ाई की हैं. चार साल पहले
उनकी शादी हुई थी और दो जुड़वा बेटियां हैं. मोहसिन कंधे पर लेडीज़ कपड़ों का
गट्ठर रखकर गली-मुहल्ले में बेचते हैं. हर दिन दो से ढाई सौ रुपए कीआमदनी है.
मोहसिन के पिता मुहम्मद
सईद बताते हैं, “11 बजे के आसपास स्पेशल सेल
और दिल्ली पुलिस के कमांडो उनके घर आए. मोहसिन को बाहर बुलाया और अपने साथ ले गए.
साथ ही ये भी कहा कि सुबह 11 बजे स्पेशल सेल के पुलिस
स्टेशन लोदी कॉलोनी हाज़िर हो जाना.”
तब्लीगी जमात में मोहसिन
के साथी रहे उन्हीं के मुहल्ले के हिशामुद्दीन कहते हैं कि हमारा उनके साथ रोज़ का
उठना-बैठना था. उनका नाम कभी किसी झगड़े तक में भी नहीं आया है. चांद बाग की जामा
मस्जिद में बुधवार की सुबह तब्लीगी जमात की साप्ताहिक बैठक होती है. यहां पर इस
मामले को उठाया गया लेकिन इसे जमात के किसी बड़े प्लेटफॉर्म पर नहीं उठा सकते.
वहां किसी भी राजनीतिक या इस तरह के मुद्दों पर चर्चा की इजाज़त नहीं है. यहां के
ज़्यादातर लोग साल में एक बार 40 दिन के लिए जमात में जाते
हैं. मोहसिन 19 मई को जमात में जाने वाले
थे.
3: इमरान ख़ान
उम्र 32 साल
पेशा- सेल्स मैन
इनकम – अज्ञात
पता- एफ ब्लॉक, गली नंबर 2, चांद बाग़
मोहम्मद साजिद के घर के
ठीक पीछे वाली गली नंबर 2 में इमरान रहते हैं. सभी
उठाए गए लड़कों में इमरान सबसे ज़्यादा पढ़े हैं. उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की है. वो रोहिणी की एक कंपनी में
सेल्समैन हैं.
चचेरे भाई मुहम्मद याक़ूब
के मुताबिक वह सुबह आठ बजे काम के लिए निकलते थे और वापस भी लगभग 8 बजे आते थे. इसके बाद थोड़ा आराम करके वह इशा
की नमाज़ पढ़ने जाते थे. फिर जमात के साथियों के साथ आसपास घूमकर वापस घर लौट आते
थे.
उन्हें पुलिस और कमांडो
की मौजूदगी में 11 बजे पुलिस ने हिरासत में
लिया. याकूब इसके बाद गोकलपुरी पुलिस स्टेशन पहुंचे लेकिन यहां कोई जानकारी नहीं
मिल सकी. बस इतना पता चला कि उन्हें स्पेशल सेल ने उठाया है. याकूब को उम्मीद है
कि इमरान आजकल में ही छूट जाएंगे लेकिन वह वह सभी उठाए गए लोगों की फैमिली के साथ
मिलकर कानूनी लड़ाई की तैयारी भी कर रहे हैं.
4: अज़ीम अहमद
उम्र 18-19 के बीच
पेशा- कुछ नहीं (मानसिक रूप से कमज़ोर)
पता- ई ब्लॉक, गली नंबर 6, चांद बाग़
अज़ीम को छोड़कर उनके घर
में सभी पुरुष देवबंद से पढ़े हुए हैं. इनके बड़े भाई कलीम अहमद कनॉट प्लेस की इनर
सर्किल की मोती मस्जिद में 10 साल से इमाम हैं जबकि
पिता यमुना विहार की जामा मस्जिद के इमाम हैं. कलीम का दावा है कि उनके छोटे भाई
दिमागी तौरपर कमज़ोर हैं. इसीलिए उन्हें पढ़ाया नहीं जा सका. उन्होंने खाना-पीना
भी 6-7 साल की उम्र में सीखा था.
उनका वज़न भी 40-45 किलो है.
कलीम ने बताया कि रात 11 बजे पुलिस की दर्जनों गाड़ियां गली में भरी हुई
थीं. सभी के पास रिवॉल्वर और एके-47 राइफलें थी. उन्होंने घर में घुसने की कोशिश की तो हमने वजह पूछी. हम अज़ीम को
नीचे लेकर आए तो वो बिना बताए लेकर चले गए.
वजह जानने के लिए हम
गोकलपुरी पुलिस स्टेशन पहुंचे तो वहां एक असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर ने हमें दाढ़ी, टोपी और कुर्ते में देखकर गाली दी. उन्होंने
कहा कि तुम लोगों ने आतंकवाद फैला रखा है. यहां से चले जाओ वरना लॉकअप में बंद
करके मारूंगा. हम वहां से चुपचाप चले आए. देवबंद से पढ़ाई करने के नाते हमने
मौलाना अरशद मदनी से संपर्क किया, उन्होंने हमारी हिम्मत
बढ़ाई और पटियाला हाऊस कोर्ट स्थित वकील एमएस ख़ान से मिलने के लिए भेजा.
5: जीशान
उम्र-16-17
पेशा- चूड़ी बेचने का काम
आमदनी- 200-300 रुपए प्रतिदिन
पता- एफ ब्लॉक, गली नंबर-6, चांद बाग़
जीशान इशा की नमाज़ पढ़ने
और जमात का काम निपटाने के बाद घर आए. घरवालों ने खाना खाने के लिए कहा तो
उन्होंने कहा कि थोड़ी देर में खाऊंगा और वह बाहर चले गए. कुछ देर बाद उन्हें गली
के एक लड़के ने जाकर बताया कि तुम्हारे घर पर पुलिस आई है. वजह जानने के लिए जीशान
जब घर पहुंचे तो उन्हें पुलिस ने पकड़ लिया.
जीशान के अब्बा के एक पैर
में ज़ख्म है. उन्हें चलने में तकलीफ़ है. उन्होंने बताया कि चूड़ी बेचना हमारा
ख़ानदानी पेशा है. जीशान को भी इसी काम से जोड़ लिया था. मौका निकालकर वह तीन दिन
वाली जमात में भी जाया करता था. उसकी नमाज़ कभी नहीं छूटती थी. उन्होंनेबताया कि
पांच-छह पुलिसवाले उनके घर आए थे. उन्होंने कहा कि पूछताछ के लिए ले जा रहे हैं
लेकिन चौबीस घंटे गुज़र जाने के बावजूद अभी तक उन्हें नहीं रिहा किया गया है.
6: सखावत अली
उम्र 32
पेशा- स्पेयर पार्ट्स की एक कंपनी में सेल्समैन
पता- एफ ब्लॉक, गली नंबर 8, चांद बाग़
सखावत के पिता पेंटर हैं
और छोटे भाई नोएडा के एक कॉलेज से बी. टेक (सिविल) की पढ़ाई कर रहे हैं. वह सुबह 11 बजे से लोदी कॉलोनी स्थित स्पेशल सेल के पुलिस
स्टेशन पर मौजूद थे. उन्हें शाम साढ़े सात बजे सिर्फ दो-तीन मिनट मिलने का वक्त
मिला. वह सिर्फ हालचाल पूछ पाए. पुलिसवालों ने उन्हें खाना खिलाया था. कोई टॉर्चर
नहीं किया था. तब्लीगी जमात और धार्मिक गतिविधियों से जुड़ने की वजह और सवाल पूछे
थे. वह जमात में कभी-कभी जाते थे.
बिना सबूत मुसलमानों को परेशान करने की पॉलिसी है- मौलाना अरशद मदनी
जमीयत उलमा ए हिंद के
मुखिया मौलाना अरशद मदनी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए युवकों में दो को व्यक्तिगत
रूप से जानते हैं. गिरफ्तार हुए लड़कों में से एक अजीम के परिवार ने सबसे पहले
उन्हीं से संपर्क किया. लिहाजा कैच ने उनसे भी बतचीत कर इस मामले को समझने की
कोशिश की.
अरशद मदनी बताते हैं, "जो हमारे पास आकर कहता है कि वे कानूनी लड़ाई
नहीं लड़ सकते, हम उन्हें कानूनी मदद
मुहैया करवाते हैं. देवबंद से उठाए गए शाकिर के मां-बाप अपाहिज हैं. उनके
रिश्तेदार हमारे पास आए थे. इनके अलावा चांद बाग़ के लोगों ने भी हमसे संपर्ककिया
है, हमने उनके लिए वकील
मुहैया करवा दिया है.”
जमीयत प्रमुख का आरोप है
कि मुसलमानों को परेशान करने की एक अलिखित पॉलिसी सी बनी हुई है. उन्हें बिना
सुबूत के उठा लिया जाता है, फिर उन्हें न्याय मिलने
में 15-20 साल लग जाते हैं. रिहाई
के बाद ऐसे लोगों की कहानी कोई नहीं दिखाता.
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