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कब करोगे असम पे करम ओ शाह-ए-अंजुमन

अच्छे दिनों की आस लगाए बैठे असम के लोगों के लिए इससे बुरा दिन और क्या हो सकता है? जब असम के बीस जिलों को बाढ़ ने अपनी चपेट में ले रखा है। जिसकी वजह 20 ज़िलों के लगभग 15 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। इंसानों की ज़िंदगी को झकझोर देने वाली इस बाढ़ ने अब तक 30 से ज़्यादा लोगों की ज़िंदगी को निगल लिया है।

ज़िंदगी के बदतर दौर से गुज़र रहे असम के लोग सरकारी सहायता के मुन्तज़िर हैं। भारी संख्या में लोग अपना घर-बार छोड़कर दूसरी जगह हिजरत कर गए हैं। जहां उनके रहने, खाने-पीने का कोई बंदोबस्त भी नहीं है। ऐसे में आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के अध्यक्ष मौलाना बदरुद्दीन अजमल कासमी ने सैलाब पीड़ित लोगों से मिलकर उनके दुःख-दर्द को कम करने की थोड़ी बहुत कोशिश ज़रूर की है।

केंद्र सरकार और मीडिया अभी तो बिहार विधानसभा चुनाव का समीकरण तय करने में जुटी है। जहां
अपनी स्थिति को मज़बूत करने के लिए केंद्र सरकार ने बिहार को महापैकेज देकर वोटरों को लुभाने का प्रयास किया है। किसी नेता या राजनीतिक दल ने असम बाढ़ पीड़ितों का मुद्दा उठाने की ज़रा भी कोशिश नहीं की है। अपनी एक-एक खबर से सनसनी फैला देने वाली मीडिया की नज़र भी अब कमज़ोर होती लग रही हैं। जिसे असम के तबाही की ज़रा भी झलक नज़र नहीं आ रही है। जो सिर्फ राजनीति और नेता को ही कवर कर रही हैं। किस नेते ने क्या बयान दिया? किसके खिलाफ़ बोला? क्या खाया? क्या पहना ? आदि जैसी बातें ही लोगों के सामने परोस रही है।

असम को दोहरा नुकसान झेलना पड़ रहा है। एक तो वहां इतनी गरीबी है कि लोगों को दो वक़्त का खाना बड़ी मुश्किल से मिलता है और पहनने के लिए महिलाएं सिर्फ एक कपड़े से अपना पूरा तन ढांपने पर मजबूर हैं। ऐसे में बाढ़ ने उनकी तो ज़िंदगी को ही ब्रेक लगा दिया है।
 
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार ब्रह्मपुत्र और इसकी सहायक नदियों का पानी 2,200 गांव में घुस गया है और हजारों एकड़ में लगी फसलें प्रभावित हुई है। जिससे किसान तो जीते जी मर गया है। यह तो वही मुहावरा हो गया कि नंगा खाएगा क्या और निचोड़ेगा क्या?

असम में बाढ़ से प्रभावित होने वाले जिलों में धेमाजी, कोकराझार, बोंगाईगांव, सोनितपुर, बारपेटा, गोलपाड़ा, मोरीगांव, कछार, लखीमपुर, जोरहट, तिनसुकिया, दरांग, बक्सा, नल्बाड़ी, कामरूप, डिब्रूगढ़, शिवसागर, गोलाघाट और नागांव शामिल हैं। डिब्रूगढ़ प्रशासन ने प्रभावित लोगों को बचाने और राहत अभियान के लिए सेना की मदद मांगी है।

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