अभी कुछ दिनों पहले जब पीआईएल छाप आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को निलंबित किया गया था दोगली मीडिया और दोगले पत्रकार-लेखक उनको बचाने के लिए उत्तर-प्रदेश सरकार और मुलायम सिंह यादव के ख़िलाफ़ मोर्चा फ़तह करने में जुटे हुए थे. गुजरात दंगों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी और सुराग़ रखने वाले आईपीएस अफ़सर संजीव भट्ट को बर्ख़ास्त कर दिया गया है. कहाँ हैं अब अमिताभ ठाकुर को बचाने वाले धुरंधर ! जिनमें कुछ प्रसिद्ध-घोषित वामपंथी भी थे. संजीव भट्ट का कुसूर केवल इतना था कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दाख़िल किया था जिसमें लिखा था कि फ़रवरी 27, 2002 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के गाँधीनगर आवास पर एक मीटिंग हुई थी जिसमें मुख्यमंत्री ने भट्ट और उनके साथी अफ़सरों से कहा था कि हिंदुओं को अपना ग़ुस्सा निकालने दो. भट्ट को इस गुस्ताख़ी के लिए लंबी सजा झेलनी पड़ी. वे 1988 बैच के अफ़सर हैं और 2011 से ही निलंबित रहे हैं. इसके अलावा उनके ख़िलाफ़ आपराधिक मुक़दमे भी दर्ज़ किये गए हैं जिनमें उन्हें जेल भी हो सकती है. बुधवार को संजीव भट्ट ने ट्वीट किया- "Finally removed from service today after serving 27 years in the Indian Police Service. Once again eligible for employment.
smile emoticon
Any takers?."
लेखक: अर्श संतोष की कलम
से ......
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