लखनऊ में एफएसडीए की टीम ने मार्च में एक नमकीन भंडार पर छापा मारकर सैंपल लिए थे। रिपोर्ट में सैंपल फेल होने के बाद भी इन्हें बेचा जा रहा था।
घटिया सरसों तेल, हरी नमकीन मटर और दूध के नमूने लैब टेस्टिंग में फेल होने के बाद इन्हें बेचने वालों पर एफएसडीए कोर्ट ने 1.94 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही कोर्ट ने दोषी पाए गए तीनों आरोपियों को चेताया कि यदि एक माह की तय मियाद में जुर्माना राशि सरकारी खाते में नहीं जमा कराई तो इसकी वसूली राजस्व बकायेदारी की तरह होगी।
बीते 15 मार्च को मिलावटी खाद्य सामग्री की धरपकड़ के लिए अभियान चलाया गया था। इस दौरान खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की टीम ने गोमती नगर के पत्रकारपुरम चौराहे पर इंदिरा नगर निवासी महेंद्र प्रताप गुप्ता की दुकान न्यू साहू नमकीन भंडार पर छापा मारा था। इस दौरान पॉलीबैग में रखी हरी मसाला मटर का नमूना लैब टेस्टिंग के लिए सील कर भेजा गया था।
हरी मटर के पैकेट पर इसे सोयाबीन रिफाइंड से बनाए जाने की बात कही गई थी। प्रयोगशाला जांच में सामने आया कि इसे सोयाबीन रिफाइंड की जगह घटिया स्तर के दूसरे वेजीटेबल ऑयल में बनाया गया था।
वाद की सुनवायी के दौरान आरोपी दुकान संचालक महेंद्र प्रताप गुप्ता ने खुद को निर्माता न बताते हुए सिर्फ इसकी बिक्री किए जाने की बात कहकर बचाव का प्रयास किया, लेकिन कोर्ट ने आरोपी के तर्कों को खारिज करते हुए धारा 49 के तहत सब स्टैंडर्ड हरी मटर बेचने का आरोपी मानते हुए 1.07 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए
वाद निस्तारित किया।
वाद से जुड़े पक्षकारों के तर्क व बहस पूरी हो जाने के बाद कोर्ट ने शुक्रवार को इसका निस्तारण करते हुए फर्म संचालक को मानकों की अनदेखी का दोषी करार देते जुर्माना लगाने का निर्णय सुनाया।
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