Hot News
Loading...

‘गांव के लड़के ने जो किया सो किया, अब तो मेरी लाडली से हर पल रेप हो रहा है'

‘गांव के लड़के ने जो किया सो किया। अब तो मेरी लाडली से हर पल रेप हो रहा है। लोगों की निगाहें उसका शरीर बेधती से लगती हैं। क्या कहें बाबू, बिटिया को साथ लेकर चलने की हिम्मत नहीं रही। मर सकता होता को एक मिनट न लगाता।’

यह बेबसी रेप की शिकार बाराबंकी की पंद्रह वर्षीय किशोरी के पिता की है। उसने फैसला किया था कि बेटी के बेहतर भविष्य और मान-सम्मान की लड़ाई के लिए अंतिम सांस तक लड़ेगा।

कोर्ट गया और बेटी के गर्भ में पल रहे रेप के दाग को मिटाने का आदेश भी ले आया। हालांकि, डॉक्टरों के फैसले के आगे उस पिता की इच्छा शक्ति हार गई।

क्वीन मेरी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किशोरी के भविष्य को लेकर सामाजिक बहस भले न छिड़ी हो लेकिन उसके पिता के मन में भूचाल आया हुआ है। उनकी नींद उड़ चुकी है।

‘छुटकी की जिंदगी का क्या होगा’ यह सोचना शुरू करते हैं तो उससे बड़ी दो बेटियों की तस्वीर आंखों में तैर जाती है। ‘हाय, बड़की का तो ब्याह करने की सोच रहा था। अब क्या होगा, कौन करेगा उससे शादी? कौन बनाएगा उसे अपने घर की लक्ष्मी?’

सोचते-सोचते आंखों के कोर से बूंदे टपक पड़ती हैं। कोई आंसू न देख ले इसलिए वह घुटनों के बीच सिर छिपा लेते हैं। उनकी चिंता सिर्फ परिवार और बेटियां नहीं हैं।

गांव और वहां के लोगों के चेहरे भी दिमाग में घूम रहे हैं। कुएं के सामने रहने वाले दद्दा। बगीचे वाले काका। ...और वो चाची जिनको अपनी बेटियों की सुघड़ता के किस्से सुनाया करता था। सब क्या सोच रहे होंगे। अब सबको क्या जवाब दूंगा। कैसे वापस गांव में जाऊंगा। बेबस पिता के मन में बस यही सवाल उमड़-घुमड़ रहे हैं।

उनकी बातों में यह दर्द भी झलका। बोले, कल जो बच्चा आने वाला है, उसे कहां रखूंगा। कोई पूछेगा तो क्या कहूंगा। किस-किस को जवाब दूंगा। उन्होंने कहा कि अब गांव में रहना मुश्किल है लेकिन दूसरा कोई चारा भी तो नहीं है। किशोरी के परिवारीजनों ने बताया कि चार बच्चों में वह तीसरी है। दो बड़ी बहन और एक छोटा भाई है।

इस कांड के बाद क्या कोई बेटियों को अपने घर की लक्ष्मी बनाएगा? किशोरी के परिवारीजनों के इस सवाल का किसी के पास कोई जवाब नहीं है। किशोरी के पिता ने कहा कि डॉक्टरों के फैसले ने उनकी लड़ाई को लंबा और कठिन बना दिया है।

किशोरी के पिता का कहना है कि रेप की घटना फरवरी की थी जिसका पता जुलाई को लगा। उस वक्त तक स्थितियां हाथ से निकल चुकी थीं। सिर्फ एक ही उम्मीद थी। शायद लड़के के पिता उसकी बेटी को अपना लें। दोनों नाबालिग हैं तो क्या।

अब जो होगा सब ऊपर वाला देखेगा। यही सोचकर वह लड़के के घर गए। हाथ जोड़े। इज्जत का वास्ता दिया। बदले में गालियां मिलीं। ‘मेरे बेटे को जेल भेज दिया। अब रोना रो रहे हो।’ यह कहते हुए उन्हें घर से बाहर निकाल दिया।

साढ़े सात महीने का गर्भ है इसलिए जान को खतरा......

अस्पताल से जुड़े सूत्रों ने बताया कि किशोरी को साढ़े सात महीने का गर्भ है। यही वजह है कि अब गर्भपात नहीं हो सकता। किशोरी की शारीरिक स्थिति भी अच्छी नहीं है।

बीते कुछ महीनों में वह काफी कमजोर हो चुकी है। मानसिक रूप से भी उसकी हालत खराब ही है। चिकित्सकों का कहना है कि अगर जबरन या चोरी-छिपे गर्भपात कराने की कोशिश की गई तो किशोरी के बचने की कोई उम्मीद नहीं रहेगी।
Share on Google Plus

About Unknown

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment