झाबुआ के विस्फोट और 100 लोगों की मृत्यु के ज़िम्मेदार यह राष्ट्रवादी महानुभाव हैं . सरकार को चाहिए की इनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करे .
JHABUA: झबुआ में हुए भीषण बिस्फोट में सिलेंडर के साथ साथ राजेंद्र कसावा का बारूद का भंडार भी उड़ गया था जिसकी वजह से 90 लोगों की जान जाने के साथ साथ आधी बस्ती भी उजड़ गयी। बिस्फोट इतना जबरदस्त था कि कुछ सेकंड में आस पास के कई घर तिनके के समान उड़ गए और बस स्टैंड के पास खड़े लोगों के चीथड़े उड़ गए। इस घटना के बाद लोगों की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें और क्या ना करें। उन्हें एकाएक इतनी बड़ी विपत्ति आने का अहसास नहीं था। सुबह सुबह मजदूर लोग चाय पी रहे थे, माँ बाप अपने बच्चों को स्कूल के लिए तैयार कर रहे थे लेकिन अचानक इतना बड़ा बिस्फोट हुआ कि आधी कालोनी ही उड़ गयी।
राजेंद्र कसावा है हादसे का सबसे बड़ा जिम्मेदार
झबुआ धमाके का सबसे बड़ा जिम्मेदार राजेंद्र कसावा है। राजेंद्र कसावा कई वर्षों से बारूद का कारोबार करता रहा है। इससे पहले भी उनके गोदाम में बिस्फोट हो चुका है और खुद उनके बाप की जान जा चुकी है लेकिन पैसे कमाने के लिए उस हादसे के बाद भी उसे अकल नहीं आई और आज उसके बारूद की आग में 90 लोग जलकर ख़ाक हो गए। हादसे के बाद राजेंद्र कसावा अपने घर से फरार हो गया है। पुलिस ने उसके खिलाफ FIR दर्ज करके उनकी खोजबीन शुरू कर दी है।
राजेंद्र कसावा तीन दशक से कर रहा था बारूद का गोरखधंधा
राजेंद्र कसावा 80 के दशक से ही बारूद का गोरखधंधा करता आ रहा है। स्थानीय पुलिस उस पर लगातार निगरानी करती रही है लेकिन कभी भी उसपर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पायी। कसावा ने बारूद का गोरखधंधा करने के लिए पेट्रोलियम और बिस्फोटक सुरक्षा संस्थान ने प्रमाणपत्र भी लिया हुआ था। सूत्रों से पता चला है कि वह बारूद की गैरकानूनी तरीके से तस्करी भी करता रहा है। पुलिस सूत्रों से पता चला है कि आज से 34 साल पहले झबुआ पुलिस ने राजेंद्र कसावा को हिरासत में भी लिया था। यही नहीं राजेद्र कसावा का परिवार भी बारूद का ही काम करता रहा है। इससे पहले भी राजेंद्र कसावा के गोदाम में बिस्फोट हो चुका है और उनके पिता की मृत्यु हो चुकी है।
काफी समय से चल रही थी संदिग्ध गतिविधियां
स्थानीय निवासियों ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर बताया कि राजेंद्र कसावा के गोदाम में काफी समय से संदिग्ध गतिविधियां चल रही थी। उसके गोदाम में सुबह 2-3 बजे ट्रक आते थे और बक्सों को चढाने और उतारने का काम होता था। इसके अलावा गोदाम पर भी संदिग्ध लोगों का आना जाना रहता था। गोदाम पर आने वाले ज्यादातर ट्रकों पर राजस्थान का नंबर होता था।
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