अक्सर मैने कुछ तथाकथित "नास्तिक" भाईयों को कुरान और हदीस मे वर्णित कुछ बातों की ये कहकर हंसी उड़ाते देखा है कि इस्लाम मे कितनी अधिक बातें विज्ञान के विरुद्ध हैं .... हालांकि ये नास्तिक भाई कोई वैज्ञानिक नही हैं, जिनको किसी मामले पर विज्ञान का कोई नियम लगाना आता हो, इनको तो केवल इस्लाम का मजाक उडाने से मतलब है .... लेकिन जब कुरान और हदीस की इन्हीं "विज्ञान विरुद्ध" बातों पर किसी ज्ञानवान और सच्चाई के पक्षधर गैर मुस्लिम की नजर पड़ती है तब क्या होता है, आइए आज मैं आपको ये बताता हूँ
प्रो. डॉ. कीथ मूर जो कि वर्तमान समय मे विश्व मे एम्ब्रियोलॉजी अर्थात् भ्रूण शास्त्र के सबसे बड़े ज्ञाता माने जाते हैं, और टोरंटो विश्वविद्यालय (कनाडा) के डिपार्टमेण्ट आफ एनाटॉमी एण्ड सेल बॉयोलॉजी मे विभागाध्यक्ष रह चुके हैं, इन्होंने जब शोध कार्य के लिए कुरान की कुछ पवित्र आयतों का अध्ययन किया तो कुरान को ईश्वरीय ग्रंथ मानने पर मजबूर हो गए
1980 मे प्रोफेसर कीथ मूर को सऊदी अरब की किंग अब्दुल अजीज युनिवर्सिटी मे शरीर विज्ञान और भ्रूण शास्त्र पर व्याख्यान देने के लिए निमंत्रित किया गया , जब प्रोफेसर मूर सऊदी मे थे तो उन्हे किंग अब्दुल अजीज युनिवर्सिटी की एम्ब्रियोलॉजी कमेटी मे भी शामिल किया गया
इसी समय प्रोफेसर मूर से कहा गया कि वे क़ुरआन में भ्रूण शास्त्र से संबंधित आयतों और भ्रूण शास्त्र से सम्बन्धित हदीसों पर भी अध्ययन कर के उनपर अपने विचार बताएं । प्रोफेसर मूर ने सातवीं शताब्दी ईसवी मे लिपिबद्ध की गई कुरान और हदीस की भ्रूण शास्त्र से सम्बन्धित आयतों आदि का अध्ययन किया तो आश्चर्यचकित रह गए..... क्योंकि उन्हें भ्रूण शास्त्र के संबंध में क़ुरआन में वर्णन ठीक आधुनिक खोज़ों के अनुरूप मिला...... कुछ आयतों के बारे में प्रोफेसर मूर ने कहा कि अभी वे इन आयतों के विषय मे ग़लत या सही का निर्णय नहीं सुना सकते क्यों कि अभी वे खुद इस बारे मे इतना नहीं जानते, इसमें क़ुरआन की सर्वप्रथम अवतरित हुई सूरह "अल-अलक़" की आयत भी शामिल थी जिसका अनुवाद ये है-
"पढ़िए अपने रब्ब के नाम से, जिसने (दुनिया को) पैदा किया, और जिसने इंसान को जमे हुए खून से बनाया ॥"
इस आयत में अरबी भाषा में एक शब्द का उपयोग किया गया है "अलक़" .......इस शब्द का एक अर्थ होता है.."जमा हुआ रक्त" और इसी शब्द "अलक़" का एक और अर्थ होता है "जोंक जैसा"
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान को उस समय तक भी यह मालूम नहीं था कि क्या माता के गर्भ में आरंभ में भ्रूण की सूरत जोंक की तरह होती है....। इसलिए डॉ. मूर उस समय तक कहने मे अक्षम थे कि ये आयत कितनी सही अथवा गलत है ....लेकिन कुरान की ये आयत पढ़कर, और पूर्व मे भ्रूण विज्ञान पर कुरान की आयतों के सटीक पाए जाने के कारण प्रोफेसर मूर ने इस आयत पर भी खोज करने की ठान ली....
प्रोफेसर डॉ. मूर ने अपने कई प्रयोग इस बारे में किए और गहन अध्ययन के पश्चात उन्होंने कहा कि-
हां पवित्र कुरान की आयत सत्य कहती है, और वास्तव मे ही माता के गर्भ में आरंभ में भ्रूण जोंक की आकृति में ही होता है...
यही नहीं, कुरान और हदीस का अध्ययन करने के बाद डॉ मूर ने भ्रूण शास्त्र के संबंध में अन्य 80 प्रश्नों के उत्तर भी दिए जो उन्होंने कुरान और हदीस में वर्णित वाक्य और आयतों से जाने थे , इन प्रश्नों के उत्तरो के बारे मे बताते हुए प्रोफेसर मूर ने कहा था कि "अगर आज से 30 वर्ष पहले मुझसे यह प्रश्न पूछे जाते तो मैं इनमें आधे भी उत्तर नहीं दे सकता था, क्यों कि तब तक विज्ञान ने इस क्षैत्र में इतनी प्रगति नहीं की थी....."
क्या ये विस्मय की बात नही है कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान जिन प्रश्नों के उत्तर महज़ 30 साल पहले ही खोज पाया है, उन्ही प्रश्नो के उत्तर हमारे प्यारे नबी सल्ल. हमे अब से कई सौ साल पहले दे गए हैं ......
1981 में सऊदी मेडिकल कांफ्रेंस में डॉ. मूर ने घोषणा की कि उन्हें कुरान की भ्रूण शास्त्र की इन आयतों को देख कर इस बात का पूरा विश्वास हो गया है कि हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) ईश्वर के पैग़म्बर ही थे । क्योंकि सदियों पूर्व जब विज्ञान खुद भ्रूण अवस्था में हो इतनी सटीक और सच्ची बातें केवल ईश्वर ही कह सकता है....
बेशक आज से चौदह सौ साल पहले ऐसे अत्याधुनिक विज्ञान की बातों का ज्ञान किसी साधारण मनुष्य के पास हो ही नहीं सकता था , ऐसी बातें केवल और केवल ईश्वर की अनुकम्पा से ही कोई जान सकता था ....
डॉ. मूर ने अपनी पुस्तक के 1982 के संस्करण में सभी बातों को शामिल किया है , ये पुस्तक कई भाषाओं में उपलब्ध है और प्रथम वर्ष के चिकित्साशास्त्र के विद्यार्थियों को पढ़ाई जाती है
इस पुस्तक "द डेवलपिन्ग ह्यूमन" को किसी एक व्यक्ति द्वारा चिकित्सा शास्त्र के क्षैत्र में लिखी गई श्रेष्ठ पुस्तक का अवार्ड भी मिल चुका है ....
वास्तव मे प्रोफेसर डॉ कीथ मूर की प्रसिद्धि मे एक बहुत बड़ी और बहुत महत्वपूर्ण भूमिका पवित्र कुरान और नबी सल्ल. की ज्ञानपरक हदीसों की भी रही है ..... नास्तिकता का ढोल पीटने वाले अज्ञानी लोग भले ही कुरान की आयत और हदीसों को विज्ञान विरुद्ध कहकर लाख उनकी हंसी उड़ा लें, लेकिन जब भी कुरान और हदीस की इन्हीं बातों पर किसी ज्ञानवान व्यक्ति की नजर पड़ी है, तब तब विज्ञान के क्षेत्र मे नए कीर्तिमान स्थापित हुए हैं .......
बेशक ये निशानियां हैं, उस सर्वशक्तिमान ईश्वर की ओर से अक्ल वालों के लिए ... ताकि वे अपने रब्ब को जान जाएं
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