दिल्ली बॉर्डर के पास मौजूद सराय ख्वाजा मार्केट की गलियां इतनी तंग है कि छोटी कार वाले भी अंदर जाने में सकुचाते हैं । मगर इन गलियों में भाईचारे और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए बड़ी जगह है। इन गलियों में रोजेदार नमाज अदा करते हैं। उनके नमाज अदा करने से पहले हिंदू समुदाय के अधिकतर लोग न सिर्फ गलियों को साफ करते हैं बल्कि मौसम खराब होने पर अपने घर के दरवाजे भी नमाज अदा करने वालों के लिए खोल देते हैं। नमाज के दौरान कोई शख्स गलियों का उपयोग नहीं करता है।
सराय ख्वाजा मार्केट की तंग गलियों में बनी मस्जिद रोजेदारों के लिए बेहद छोटी है। मस्जिद में मुश्किल से 50 लोग आ पाते हैं। बॉर्डर से लेकर ओल्ड फरीदाबाद के बीच सिर्फ यही एक मस्जिद है और रोजेदारों की संख्या हजारों में है। ऐसे में रमजान के पाक महीने में जब नमाज अदा करने का समय आता है तो मस्जिद से पास अधिकांश तंग गलियों में रोजेदार नमाज अदा करते हैं। शफीक अहमद सैफी ने बताया कि मजबूरी के चलते हम गलियों में नमाज पढ़ने को मजबूर हैं। नालियां गंदी हैं, बदबू आती है, लेकिन हिंदू परिवार हमारा पूरा साथ देते हैं। नमाज से पहले अधिकतर लोग अपने घरों के बाहर सफाई करते हैं। मौलाना हाजी फजलू कुरैशी बताते हैं कि तंग गलियों में नमाज के समय अधिकांश लोग अपनी साइकल या बाइक खुद हटा लेते हैं, जिससे रोजेदारों को परेशानी न हो। कई हिंदू परिवार ऐसे हैं, जो मौसम खराब होने पर अपने घरों की बैठक को तुरंत खाली कर नमाज पढ़ने के लिए दे देते हैं। उनका कहना है कि वह कई वर्षों से मस्जिद के लिए जमीन की मांग कर रहे हैं, मगर कोई जगह उपलब्ध नहीं करा रहा है।
सराय ख्वाजा मार्केट की तंग गलियों में बनी मस्जिद रोजेदारों के लिए बेहद छोटी है। मस्जिद में मुश्किल से 50 लोग आ पाते हैं। बॉर्डर से लेकर ओल्ड फरीदाबाद के बीच सिर्फ यही एक मस्जिद है और रोजेदारों की संख्या हजारों में है। ऐसे में रमजान के पाक महीने में जब नमाज अदा करने का समय आता है तो मस्जिद से पास अधिकांश तंग गलियों में रोजेदार नमाज अदा करते हैं। शफीक अहमद सैफी ने बताया कि मजबूरी के चलते हम गलियों में नमाज पढ़ने को मजबूर हैं। नालियां गंदी हैं, बदबू आती है, लेकिन हिंदू परिवार हमारा पूरा साथ देते हैं। नमाज से पहले अधिकतर लोग अपने घरों के बाहर सफाई करते हैं। मौलाना हाजी फजलू कुरैशी बताते हैं कि तंग गलियों में नमाज के समय अधिकांश लोग अपनी साइकल या बाइक खुद हटा लेते हैं, जिससे रोजेदारों को परेशानी न हो। कई हिंदू परिवार ऐसे हैं, जो मौसम खराब होने पर अपने घरों की बैठक को तुरंत खाली कर नमाज पढ़ने के लिए दे देते हैं। उनका कहना है कि वह कई वर्षों से मस्जिद के लिए जमीन की मांग कर रहे हैं, मगर कोई जगह उपलब्ध नहीं करा रहा है।
स्थानीय निवासी मौलाना हाजी फजलू कुरैशी का कहना है कि हमें सभी का सहयोग मिलता है। मदद के कारण ही हजारों की संख्या में रोजेदार तंग गलियों में नमाज अदा करते हैं। वर्षों से हम नेताओं और अधिकारियों से मांग कर रहे हैं कि इस क्षेत्र में मस्जिद के लिए जमीन दी जाए, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
शफीक अहमद सैफी ओल्ड फरीदाबाद में रहते हैं और सराय ख्वाजा में नौकरी करते हैं। उनका कहना है कि यहां गलियों में नमाज पढ़नी जरूरी है। प्रशासन गलियों की सफाई नहीं करता। यह तो गनीमत है कि हिंदू परिवार हमारा ध्यान रखते हैं और घर के बाहर सफाई कर देते हैं।
वाहिद कुरैशी का कहना है कि यहां पर जगह नहीं है, इसके चलते सालों से हमारी मांग रही है कि मस्जिद के लिए जगह उपलब्ध कराई जाए। एमपी से लेकर कई एमएलए बदल गए, लेकिन हमारी यह मांग पूरी नहीं हुई है। मिलता है तो सिर्फ आश्वासन, ठोस कार्रवाई आज तक किसी ने नहीं की।
इस बारे में तिगांव विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेसी विधायक ललित नागर का कहना है कि देखिए यह मांग बेहद जायज है । बॉर्डर और ओल्ड फरीदाबाद के बीच एक मस्जिद होनी चाहिए और इसके लिए जमीन उपलब्ध कराए जाने की मांग मैं राज्य सरकार के सामने उठाऊंगा। मैं इस मांग को लेकर लोगों के साथ हूं और इसे पूरा कराने को लेकर भरसक प्रयास करूंगा।
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